श्रीमद्भगवद्गीता | हिंदी में संपूर्ण 18 अध्याय (श्लोक, अर्थ, सार)

श्रीमद्भगवद्गीता – जीवन का दिव्य ज्ञान

श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। यह ग्रंथ महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्धभूमि में कर्म, धर्म, आत्मा, योग और मोक्ष का दिव्य उपदेश दिया।

700 श्लोकों में संकलित यह ग्रंथ 18 अध्यायों में विभाजित है और हर अध्याय एक विशेष प्रकार के योग को प्रस्तुत करता है। चाहे आप जीवन में दिशा ढूंढ रहे हों या मानसिक शांति – गीता हर समस्या का उत्तर देती है।

अर्जुनविषादयोग

अध्याय 2: सांख्ययोग

अध्याय 3 : कर्मयोग

अध्याय 4: ज्ञान-कर्मसंन्यासयोग

अध्याय 5: कर्मसंन्यासयोग

अध्याय 6: आत्मसंयमयोग

अध्याय 7 : ज्ञानविज्ञानयोग

अध्याय 8: अक्षरब्रह्मयोग

अध्याय 9: राजविद्याराजगुह्ययोग

अध्याय 10: विभूतियोग

अध्याय 11: विश्वरूपदर्शनयोग

अध्याय 12: भक्तियोग

अध्याय 13: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग

अध्याय 14: गुणत्रयविभागयोग

अध्याय 15: पुरुषोत्तमयोग

अध्याय 16: दैवासुरसंपदविभागयोग

अध्याय 17: श्रद्धात्रयविभागयोग

अध्याय 18: मोक्षसंन्यासयोग