Hanuman Aarti

हनुमान आरती - Hanuman Aarti - shree hanuman ji ki aarti - shree hanuman ji ki aarti Pdf

सत्राणें उड्डाणें हुंकार वदनी ।।
करि डळमळ भूमंडळ सिंधुजळ गगनी ।।
गडबडिलें ब्रम्हांड धाके त्रिभुनवी ।।
सुरवर नर निशाचर त्या झाल्या पळणी ।। १ ।।
जय देव जय देव जय हनुमंता ।।
तुमचेनी प्रसादें न भी कृतांता ।। जय।। धृ ।।
दुमदुमली पाताळें उठिला प्रतिशब्द ।।
थरथरिला धरणीधर मानीला खेद ।।
कडकडिले पर्वत उडुगणउच्छेद ।।
रामी रामदासा शक्तपचा शोध ।।

हनुमान जी कि आरती - Hanuman Ji Ki Aarti

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

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