Ganapati Aarti

श्री गणेश आरती – सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची | गणपती आरती | Ganapati Aarti

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची |
नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची |
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची |
कंठी झळके माळ मुक्ताफळाची || १ ||

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती |
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ||

रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा |
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा |
हिरे जडित मुकुट शोभतो बरा |
रुणझुणती नुपुरे चरणी घागरिया || 2 ||

लंबोदर पितांबर फनी वरवंदना |
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना |
दास रामाचा वाट पाहे सदना |
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवंदना |
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती |
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती || ३ ||

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शेंदूर लाल चढायो

जय जयजी गणराज विद्या सुखदाता । 

धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥ ध्रु० ॥ 

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुखको ।

दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरीहरको ॥

हाथ लिये गुडलड्डू साई सुरवरको । 

महिमा कहे न जाय लागत हूँ पदको ॥१॥ 

अष्टी सिद्धी दासी संकटको बैरी । 

विघ्नविनाशन मंगलमूरत अधिकाई ॥ 

कोटीसुरजप्रकाश ऐसी छबि तेरी । 

गंडस्थलमदमस्तक झुले शशिबहारी ॥जय० ॥२॥ 

भावभगतिसे कोई शारणागत आवे । 

संतति संपति सबही भरपूर पावे । 

ऐसे तुम महाराज मोको अति भवे ।

 गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे ॥ जय० ॥३॥